Divine artwork featuring a radiant mandala, fiery orb, and lotus forms against a cosmic backdrop — symbolizing spiritual energy and cosmic harmony inspired by the 108 names of Vishnu in Hindi.”

108 Names Of Vishnu In Hindi: विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली में छिपा है भगवान विष्णु का ब्रह्म रहस्य

विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली (108 names of vishnu in hindi) में भगवान विष्णु के 108 दिव्य नामों का उल्लेख है, जो उनके विभिन्न रूपों, गुणों और ब्रह्मांडीय शक्तियों को दर्शाते हैं। ये नाम केवल मंत्र नहीं हैं — ये ऊर्जा के स्रोत हैं, जो भक्त को धर्म, शांति और आध्यात्मिक संतुलन की ओर ले जाते हैं।

हर नाम एक विशेष भाव को जगाता है — जैसे “श्रीधर” धन और सौंदर्य का प्रतीक है, “जनार्दन” रक्षक का रूप है, और “वैकुण्ठनाथ” परमधाम के स्वामी का संकेत देता है। लाभ

  • मानसिक शांति
  • भावनात्मक संतुलन
  • समृद्धि
  • सौभाग्य की प्राप्ति
  • ध्यान, जप और साधना के लिए आदर्श

इस स्तोत्र/ नामावली  का लाभ कैसे प्राप्त करें

इस स्तोत्र/नामावली की कृपा को पूर्ण रूप से प्राप्त करने के लिए दो विधियाँ हैं:

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पहली विधि: संकल्प के साथ साधना

इस साधना की शुरुआत एक संकल्प से होती है , एक सच्चे हृदय से लिया गया संकल्प या उद्देश्य। तय करें कि आप कितने दिनों तक इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करेंगे: 7, 9, 11, 21, 40 या कोई भी संख्या जो आपके लक्ष्य के साथ आध्यात्मिक रूप से जुड़ी हो।

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आपका संकल्प निम्नलिखित में से किसी एक या अधिक उद्देश्य के लिए हो सकता है:

  • आर्थिक स्थिरता
  • एक संतोषजनक नौकरी
  • शांति और स्वास्थ्य
  • किसी प्रियजन की भलाई
  • आध्यात्मिक विकास
  • विवाह
  • दिव्य कृपा और सुरक्षा
  • या कोई अन्य शुभ और सकारात्मक इच्छा

ध्यान रहे कि आपकी इच्छा सच्ची और सकारात्मक होनी चाहिए,  किसी भी प्रकार की हानि या नकारात्मकता से रहित।

  दैनिक पाठ का संकल्प

तय करें कि आप प्रतिदिन इस स्तोत्र/नामावली का कितनी बार पाठ करेंगे: 3, 5, 7, 11, 21 या उससे अधिक,  आपकी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार।

यदि आप किसी दिन पाठ करना भूल जाते हैं, तो आपकी साधना भंग हो जाती है, और आपको पहले दिन से पुनः आरंभ करना होगा। यह अनुशासन आपकी आध्यात्मिक दृढ़ता को मजबूत करता है।

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 दूसरी विधि : भक्ति की सीमाओं से परे साधना

दूसरी विधि यह है कि आप इस स्तोत्र/नामावली का पाठ केवल भक्ति भाव से करें,  बिना किसी समयबद्ध संकल्प के। इस स्थिति में, हृदय ही मंदिर बन जाता है, और सच्चाई ही आपकी अर्पण होती है।

 साधना के फल किन बातों पर निर्भर करते हैं

आपकी साधना के परिणाम निम्नलिखित बातों पर निर्भर करते हैं:

  • प्रतिदिन के पाठ की संख्या
  • कुल साधना की अवधि (दिनों की संख्या)
  • आपकी एकाग्रता और भक्ति की गहराई

आप अपनी साधना की ऊर्जा को निम्नलिखित आध्यात्मिक अनुशासनों से और अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं (ये अनिवार्य नहीं हैं, केवल अनुशंसित हैं):

  • मांसाहार से परहेज़
  • प्याज और लहसुन का त्याग
  • प्रतिदिन एक ही समय पर पाठ करना
  • इंद्रिय सुखों और ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूरी

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जितनी अधिक कठिन और केंद्रित आपकी साधना होगी, उतने ही गहरे और चमत्कारी होंगे उसके परिणाम।

Celestial artwork depicting a golden lotus beneath a starry sky, with divine light, mandala patterns, and a floating conch shell — symbolizing cosmic harmony and spiritual awakening through the 108 names of Vishnu in hindi
ॐ विष्णवे नमः
ॐ लक्ष्मीपतये नमः
ॐ कृष्णाय नमः
ॐ वैकुण्ठाय नमः
ॐ गरुडध्वजाय नमः
ॐ परब्रह्मणे नमः –6

जो सर्व जगत के पालक हैं
जो लक्ष्मी माता के पति हैं
जो कृष्ण भगवान के रूप में प्रसिद्द हैं
जो वैकुण्ठ लोक के स्वामी हैं
जो गरुड़ध्वज धारण करते हैं
जो परम ब्रह्म रूप हैं
ॐ जगन्नाथाय नमः
ॐ वासुदेवाय नमः
ॐ त्रिविक्रमाय नमः
ॐ दैत्यान्तकाय नमः
ॐ मधुरिपवे नमः
ॐ तार्क्ष्यवाहनाय नमः –12

जो सम्पूर्ण विश्व के स्वामी हैं
जो वासुदेव के रूप में प्रसिद्ध हैं
जो त्रिविक्रम रूप में प्रकट हुए हैं
जो दैत्यों का अंत करने वाले हैं
जो मधुरि के स्वामी हैं
जो तार्क्ष्य वाहन पर सवार हैं
ॐ सनातनाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ पद्मनाभाय नमः
ॐ हृषीकेशाय नमः
ॐ सुधाप्रदाय नमः
ॐ माधवाय नमः –18

जो सनातन और अनादि हैं
जो नारायण के नाम से विख्यात हैं
जो कमलनाभ हैं
जो हृषीकेश के नाम से प्रसिद्ध हैं
जो सुधा प्रदान करने वाले हैं
जो माधव के नाम से जाने जाते हैं
ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः
ॐ स्थितिकर्त्रे नमः
ॐ परात्पराय नमः
ॐ वनमालिने नमः
ॐ यज्ञरूपाय नमः
ॐ चक्रपाणये नमः –24

जो सफ़ेद कमल के समान नेत्र वाले हैं
जो सृष्टि की स्थिति को स्थिर करते हैं
जो परम उच्चतम हैं
जो वनमाला पहनते हैं
जो यज्ञ के रूप हैं
जो चक्र धारण करते हैं
ॐ गदाधराय नमः
ॐ उपेन्द्राय नमः
ॐ केशवाय नमः
ॐ हंसाय नमः
ॐ समुद्रमथनाय नमः
ॐ हरये नमः –30

जो गदा धारण करते हैं
जो इन्द्र के समान हैं
जो केशव के नाम से प्रसिद्ध हैं
जो हंस के समान हैं
जो समुद्रमथन के स्वामी हैं
जो सभी बाधाओं को हरने वाले हैं
ॐ गोविन्दाय नमः
ॐ ब्रह्मजनकाय नमः
ॐ कैटभासुरमर्दनाय नमः
ॐ श्रीधराय नमः
ॐ कामजनकाय नमः
ॐ शेषशायिने नमः –36

जो प्राणी जगत के पालक हैं
जो ब्रह्मा के जनक हैं
जो कैटभ असुर का विनाश करने वाले हैं
जो श्री का धारक हैं
जो काम के जनक हैं
जो शेषनाग पर विश्राम करते हैं
ॐ चतुर्भुजाय नमः
ॐ पाञ्चजन्यधराय नमः
ॐ श्रीमते नमः
ॐ शार्ङ्गपाणये नमः
ॐ जनार्दनाय नमः
ॐ पीताम्बरधराय नमः –42

जो चतुर्भुज हैं
जो पाञ्चजन्य (शंख) धारण करते हैं
जो श्री के स्वामी हैं
जो शार्ङ्ग धनुषधारी हैं
जो जनार्दन के नाम से जाने जाते हैं
जो पीताम्बर वस्त्र पहनते हैं
ॐ देवाय नमः
ॐ सूर्यचन्द्रविलोचनाय नमः
ॐ मत्स्यरूपाय नमः
ॐ कूर्मतनवे नमः
ॐ क्रोडरूपाय नमः
ॐ नृकेसरिणे नमः –48

जो देव हैं
जिनकी दृष्टि सूर्य और चन्द्रमा के समान है
जो मत्स्य रूप धारण करते हैं
जो कूर्मावतार में अवतारित होते हैं
जो क्रोधी रूप वाले हैं
जो नृकेसर के नाम से प्रसिद्ध हैं
ॐ वामनाय नमः
ॐ भार्गवाय नमः
ॐ रामाय नमः
ॐ बलिने नमः
ॐ कल्किने नमः
ॐ हयाननाय नमः –54

जो वामनावतार वाले हैं
जो भार्गव के वंशज हैं
जो राम के नाम से प्रसिद्ध हैं
जो बलवान हैं
जो कल्कि अवतार हैं
जो अश्व के समान मुख वाले हैं
ॐ विश्वम्भराय नमः
ॐ शिशुमाराय नमः
ॐ श्रीकराय नमः
ॐ कपिलाय नमः
ॐ ध्रुवाय नमः
ॐ दत्तत्रेयाय नमः –60

जो विश्व को धारण करते हैं
जो शिशुमत् वत्सरूप हैं
जो श्री के रूप वाले हैं
जो कपिल के नाम से जाने जाते हैं
जो ध्रुव के रूप वाले हैं
जो दत्तात्रेय हैं
ॐ अच्युताय नमः
ॐ अनन्ताय नमः
ॐ मुकुन्दाय नमः
ॐ दधिवामनाय नमः
ॐ धन्वन्तरये नमः
ॐ श्रीनिवासाय नमः –66

जो कभी न विघटित होने वाले हैं
जो अनंत हैं
जो मुक्ति प्रदान करने वाले हैं
जो दधिवामन रूप में हैं
जो धन्वंतरि के रूप हैं
जो श्री का निवास हैं
ॐ प्रद्युम्नाय नमः
ॐ पुरुषोत्तमाय नमः
ॐ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नमः
ॐ मुरारातये नमः
ॐ अधोक्षजाय नमः
ॐ ऋषभाय नमः –72

जो प्रद्युम्न के रूप में हैं
जो पुरुषोत्तम हैं
जो श्रीवत्स और कौस्तुभ मणि धारण करते हैं
जो मुरारी हैं
जो अधोक्षज के नाम से जाने जाते हैं
जो ऋषभ हैं
ॐ मोहिनीरूपधारिणे नमः
ॐ सङ्कर्षणाय नमः
ॐ पृथवे नमः
ॐ क्षीराब्धिशायिने नमः
ॐ भूतात्मने नमः
ॐ अनिरुद्धाय नमः –78

जो मोहिनी का रूप धारण करते हैं
जो सङ्कर्षण के नाम से जाने जाते हैं
जो पृथ्वी के स्वामी हैं
जो क्षीर समुद्र में विश्राम करते हैं
जो भूतात्मा हैं
जो अनिरुद्ध हैं
ॐ भक्तवत्सलाय नमः
ॐ नराय नमः
ॐ गजेन्द्रवरदाय नमः
ॐ त्रिधाम्ने नमः
ॐ भूतभावनाय नमः
ॐ श्वेतद्वीपसुवास्तव्याय नमः –84

जो भक्तों के प्रति करुणामय हैं
जो नरों के स्वामी हैं
जो गजेन्द्र को वर देने वाले हैं
जो त्रिधाम के स्वामी हैं
जो भूतभावना के रूप हैं
जो श्वेत द्वीप के सुवास्तव हैं
ॐ सनकादिमुनिध्येयाय नमः
ॐ भगवते नमः
ॐ शङ्करप्रियाय नमः
ॐ नीलकान्ताय नमः
ॐ धराकान्ताय नमः
ॐ वेदात्मने नमः –90

जो सनकादि ऋषियों द्वारा पूजनीय हैं
जो भगवतीश्वर हैं
जो शङ्कर के प्रिय हैं
जो नीलकंठ हैं
जो धरती के स्वामी हैं
जो वेदों के आत्मा हैं
ॐ बादर्यालयाय नमः
ॐ भागीरथीजन्मभूमिपादपद्माय नमः
ॐ सतां प्रभवे नमः
ॐ स्वभुवे नमः
ॐ विभवे नमः
ॐ घनश्यामाय नमः –96

जो बादरायण हैं
जो भागीरथी जन्मस्थल के पदकमलों वाले हैं
जो सतों के स्वामी हैं
जो स्व भुव स्वर्ग के स्वामी हैं
जो विभव के नाम से प्रसिद्ध हैं
जो घनश्याम वर्ण वाले हैं
ॐ जगत्कारणाय नमः
ॐ अव्ययाय नमः
ॐ बुद्धावताराय नमः
ॐ शान्तात्मने नमः
ॐ लीलामानुषविग्रहाय नमः
ॐ दामोदराय नमः –102

जो सम्पूर्ण जगत के कारण हैं
जो अविनाशी हैं
जो बुद्धि के अवतार हैं
जो शान्तचित्त हैं
जो लीलामय मानव रूप में हैं
जो दामोदरेश्वर हैं
ॐ विराड्रूपाय नमः
ॐ भूतभव्यभवत्प्रभवे नमः
ॐ आदिदेवाय नमः
ॐ देवदेवाय नमः
ॐ प्रह्लादपरिपालकाय नमः
ॐ श्रीमहाविष्णवे नमः –108

जो विराट रूप वाले हैं
जो भूत, भव未来 और प्रभव के स्वरूप हैं
जो आदिदेव हैं
जो देवों के देव हैं
जो प्रह्लाद के रक्षक हैं
जो महाविष्णु के नाम से प्रसिद्ध हैं

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